मौलिक अधिकार के रूप में प्राथलमक लिक्षा के प्रति छात्रों और अलििावकों के दृष्टिकोण का ववश्िेषण करना
Abstract
यह अध्ययि भारत में शहरी और ग्रामीण पररव़ेश में मौशलक अधधकार क़े रूप में प्रार्थशमक शशक्षा क़े प्रनत छािों और
अशभभावकों क़े अलग-अलग दृष्टिकोण की जांच करता है। शमधित-तरीकों क़े दृष्टिकोण को नियोष्जत करत़े हुए,
अिुसंधाि मािात्मक सवेक्षण और गुणात्मक साक्षात्कार का उपयोग करता है और मापि़े योग्य रुझाि और सूक्ष्म
दृष्टिकोण दोिों को पकड़ि़े क़े शलए समूह चचाा पर ध्याि कें द्रित करता है। स्तरीकृत यादृष्छछक िमूि़े ि़े 800 उत्तरदाताओं
का एक प्रनतनिधध िमूिा सुनिष्श्चत ककया, जो शहरी और ग्रामीण क्ष़ेिों क़े बीच समाि रूप स़े ववतररत ककया गया।
एसपीएसएस और एमएस एक्स़ेल जैस़े सांष्ययकीय उपकरणों का उपयोग करक़े ववश्ल़ेषण ककए गए मािात्मक ड़ेिा स़े
जागरूकता, कधर्थत सरकारी भूशमकाओं और ववत्तीय बाधाओं क़े प्रभाव में महत्वपूणा असमािताएं सामि़े आईं। ग्रामीण
उत्तरदाताओं ि़े अधधकार क़े रूप में शशक्षा क़े प्रनत कम जागरूकता और आधर्थाक बाधाओं क़े प्रनत अधधक संव़ेदिशीलता
प्रदशशात की, जबकक शहरी उत्तरदाताओं ि़े सरकारी पहलों में अधधक आत्मववश्वास और मुफ्त शशक्षा क़े लाभों में एक
मजबूत ववश्वास प्रदशशात ककया। एिवीवो का उपयोग करक़े ववषयगत ववश्ल़ेषण क़े माध्यम स़े ववश्ल़ेषण ककए गए
गुणात्मक ड़ेिा ि़े शैक्षक्षक दृष्टिकोण को आकार द़ेि़े वाल़े सामाष्जक-सांस्कृनतक और आधर्थाक कारकों पर प्रकाश डालत़े हुए
समृद्ध प्रासंधगक अंतदृाष्टि प्रदाि की। मुयय निटकषा, ववश़ेष रूप स़े ग्रामीण समुदायों में, शैक्षक्षक धारणाओं और अवसरों
पर सामाष्जक-आधर्थाक असमािताओं क़े महत्वपूणा प्रभाव को ऱेखांककत करत़े हैं। अध्ययि का निटकषा है कक इि
असमािताओं को दूर करि़े और सभी बछचों क़े शलए मौशलक अधधकार क़े रूप में इसकी ष्स्र्थनत को मजबूत करत़े हुए,
गुणवत्तापूणा प्रार्थशमक शशक्षा तक समाि पहुंच सुनिष्श्चत करि़े क़े शलए लक्षक्षत हस्तक्ष़ेप और िीनतगत सुधार आवश्यक हैं।